हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
हृदय के सख्त होने के कारण
اَوْحَى اللّهُ عَزَّوَجَلَّ اِلى مُوسى عليه السلام يا مُوسى لا تَفْرَحْ بِكَثْرَةِ الْمالِ وَلا تَدَعْ ذِكْرى عَلى كُلِّ حالٍ فَاِنَّ كَثْرَةَ الْمالِ تُنْسِى الذُّنوبَ وَ اِنَّ تَرْكَ ذِكرى يُقْسِى الْقُلوبَ औहल्लाहो अज़्ज़ा व जल्ला ऐला मूसा अलैहिस सलामो या मूसा ला तफ़्रहो बे कस्रतिल माले वला तदाअ ज़िकरी अला कुल्ले हालिन फ़इन्ना कस्रतल माले तुंसिज़ ज़ोनूबा व इन्ना तरका ज़िकरी युक़्सिल क़ोलूबा
इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं:
अल्लाह तआला ने हजरत मूसा (अ) पर रहस्योद्घाटन किया और कहा: हे मूसा! अधिक धन से प्रसन्न न होना और किसी भी परिस्थिति में मेरी याद को न भूलना, क्योंकि धन और सम्पत्ति की अधिकता पापों के बुरे अंत को भूला देती है, मुझे भूलने से निश्चय ही हृदय कठोर हो जाते हैं।
संक्षिप्त विवरण:
1- कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो धन की लत के कारण अपने पापों से अनजान हो जाते हैं।
2- और जब इंसान गुनाहों से बेखबर हो जाता है तो वह तौबा करने की ताकत भी खो देता है।
3- जब कोई व्यक्ति पश्चाताप नहीं करता है, तो वह भगवान को भूल जाता है ।
4- और जब कोई व्यक्ति ईश्वर की याद से ग़ाफ़िल हो जाता है, तो उसका हृदय कठोर हो जाता है और परिणामस्वरूप वह दुनिया की नेमतों से वंचित हो जाता है और उसका जीवन आराम और शांति से वंचित हो जाता है।
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काफ़ी, भाग 4, पेज. 497, हदीस 7